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राहुल गाँधी – एक समाज सुधारक या सिर्फ पार्टी प्रचारक

Sharad Pandey Blog
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राहुल गाँधी – गाँधी खानदान के इस वारिस का नाम अब शायद ही हम आप में से किसी ने ना सुना हो. सभी वर्गों के लोग इस युवा नेता से बहुत सारी आशाये लगाये हुए है और प्रगति के संसार में एक नए सूरज की कल्पना कर रहे है.

इन सभी कल्पनाओ के बीच मेरे मन में एक यक्ष प्रशन उभर रहा है की क्या राहुल सही अर्थो में भारत का विकास चाहते है या सिर्फ केवल अपनी पार्टी का प्रचार कर रहे है उत्तर प्रदेश में उनका झुकाव पार्टी की खोयी हुई साख को दुबारा ज़माने का है. राहुल का निशाना युवा वर्ग की तरफ है और वो चाहते है की ज्यादा से ज्यादा युवा वर्ग उनकी पार्टी का हिस्सा बने और देश की प्रगति में अपना हाथ बठाये. मगर युवायो को इस से क्या लाभ मिलेगा. क्या उन्हें अपने भविष्य को उज्जवल बनाने का अवसर मिलेगा या युवा अपना लक्ष्य भूल कर अपने जीवन को एक ऐसे रास्ते पर ले कर चले जायेंगे जहा उनकी पहचान करने वाला कोई नहीं होगा. कितने लोगो को पार्टी से लाभ मिलेगा. कितने लोगो की आवाज़ देश के तानाशाहों तक पहुचेगी.

उत्तर प्रदेश में भ्रसटाचार की जड़े इतनी गहरी है की उसका सहारा लिए बिना किसी को कुछ काम नहीं होता. क्या राहुल उत्तर प्रदेश को भ्रटाचार के चंगुल से निकाल पाएंगे. क्या उनकी नीतिया हमारे युवा वर्ग को उच्च शिक्षा और रोजगार उपलब्ध करा पाएंगी. क्या गरीबी और अमीरों के बिच की दूरिया कम होंगी. क्या पूर्वांचल का भाग्य उदय होगा?

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क्या उन्हें पार्टी में सम्मलित होने से रोजगार और शिक्षा प्राप्त होगी. क्या सभी लोगो के रोटी कपडा और मकान की जरुरत पूरी हो पायेगी?

क्या राहुल गाँधी प्रदेश का चेहरा बदल पाएंगे या वो भी सिर्फ वोट बैंक की राजनीती कर रहे है फर्क इतना है की इस बार धर्म, मंदिर, मस्जिद और अन्य मुद्दों के सिवा एक नया मुद्दा है जिसमे युवा वर्ग दाव पर लग रहा है.

शरद पाण्डेय
ऑक्सफोर्ड, ब्रिटेन

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